A physical medium that carries electrical energy from one place to another place is known as a conductor. The minimum conductivity and tensile strength are important factors for transmission and distribution systems. In the earlier days, the copper conductors were used to transmit the energy. But now, these are replaced with stranded hard-drawn 1350 aluminum wires to increase the tensile strength, conductivity, and efficiency. The aluminum conductors are lightweight, economical in design, and also low cost. There are different types of aluminum conductors used in these days. They are AAC, ACSR, AAAC, and ACAR. Here is a brief description of the ACSR conductor.
• 6Al/1St. ACSR
• 18Al/1St.ACSR
• 36Al/1St.ACSR
• 12Al/7St.ACSR
• 26Al/7St.ACSR
• 45Al/7St.ACSR
• 54Al/7St.ACSR
• 54Al/7St.ACSR
• Dog ACSR ( 33/66KV, 300A)
• Panther ACSR (66/132KV, 480A)
• Zebra ACSR ( 220KV, 735 A)
• Moose ACSR ( 220/400KV, 800 A)
ACSR conductor or aluminum conductor steel reinforced is used as bare overhead transmission and as primary and secondary disribution cable. ACSR is suitable for use in all practical spans on wood poles, transmission towers, and other structures because of its dependability and strength to weight ratio.
ट्रांसमिशन लाइन वायर के प्रकार
1. Solid Conductor(सॉलिड कंडक्टर)
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यह इलेक्ट्रीकल सबस्टेशन की बस मे उपयोग किया जाता है पर यह कम दूरी की बस में उपयोग किया जाता है।
2. Holllow Conductor(होलो कंडक्टर)
यह भी इलेक्ट्रिकल सबस्टेशन बस में उपयोग किया जाता है ओर यह भी कम दूरी तक की बस में ही उपयोग किये जाते है।
hollow-conductor-in-transmission-line
इनकी लंबाई ज्यादा नही रखी जा सकती। क्योंकि अगर इन्हें लम्बा बनाया जाएगा तो इनको सबस्टेशन तक ले जाना काफी मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि इन वायर को आसानी से मोड़ पाना मुश्किल होता है।
3. Stranded Conductor
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इसे पतले पतले तार से बनाया जाता है, जिससे कारण इनको आसानी से मोड़ा जा सकता है। ओर इनको काफी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह रोल में लपेटकर ट्रांसमिट किया जा सकता है।
4. AAC (All Aluminium Conductor)
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इसमे सारे कंडक्टर एल्युमीनियम के होते है। इसलीए AAC वायर में जंग नही लगती है| इनमे आसानी से जंग नही लगने के कारण इनका ज्यादा उपयोग पानी वाले इलाके के पास किया जाता है।
5. AAAC (All Aluminium Alloy Conductor)
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AAAC वायर में भी सभी वायर एल्युमीनियम के ही होते है पर एल्युमीनियम काफी ज्यादा लचीला होने के कारण इनमे कुछ ओर धातु को मिलाया जाता है। जिससे इनकी मजबूती बड़ाई जाती है।
इनका उपयोग रेलवे क्रासिंग ओर पहाड़ी इलाको में किया जाता है।
6. ACSR (Aluminum Conductor Steel Reinforced)
यह सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला कंडक्टर है। इसके बीच के वायर Galvanized Steel के होते है। जिससे ASCR कंडक्टर की मजबूती काफी बढ़ जाती है।
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इस कंडक्टर में स्टील का उपयोग होने से यह गरम होने पर ज्यादा फैलता नही है। इस कारण से ASCR कंडक्टर का उपयोग हम जहाँ भी करते है वहाँ पर हम दो इलेक्ट्रिक पोल के बीच अंतर को ज्यादा रख सकते है।
ASCR कंडक्टर हाई वोल्टेज लाइन और लौ वोल्टेज लाइन दोनो पर उपयोग किया जाता है।
Type Of ACSR Transmission Line Conductor
ascr conuductor types in hindi engineering dost »
1 Dog – 33KV से 66KV तक उपयोग में आने वाले कंडक्टर को डॉग कंडक्टर कहा जाता है। इसकी करंट केरिंग कैपेसिटी 300 एम्पेयर तक होती है। इसमे 6 एलुमिनियम के वायर (strand) होते है, तथा 7 स्टील के स्ट्रैंड होते है।
2 Panther – यह 66किलो वोल्टेज से 132 किलो वोल्टेज तक उपयोग मे लिया जाता है। इसमे 480 एम्पेयर तक करंट को दिया जा सकता है। इसमे 30 एलुमिनियम के वायर (strand) होते है, तथा 7 स्टील के स्ट्रैंड होते है।
3 Zebra – जेब्रा कंडक्टर 220 किलो वोल्टेज के लिए उपयोग किया जाता है। इसमे 735 एम्पेयर तक करंट को दिया जा सकता है। जेब्रा कंडक्टर मे 54 एलुमिनियम के स्ट्रैंड और 7 स्टील के स्ट्रैंड होते है।
4 Moose – यह कंडक्टर 220 किलोवाल्ट या फिर 440 किलो वोल्टेज की लाइन पर उपयोग मे लिए जाते है, जो की आसानी से 800 एम्पेयर तक करंट झेल सकते है।
इसमे भी जेब्रा कंडक्टर की तरह 54 एलुमिनियम और 7 स्टील के स्ट्रैंड होते है। पर Moose कंडक्टर मे स्ट्रैंड की मोटाई जेब्रा कंडक्टर से अधिक होती है। इस कारण से यह जेब्रा कंडक्टर से अधिक करंट झेल सकते है।
7. ACSS (Aluminum Conductor Steel Supported)
ACSS कंडक्टर को आज के समय ACSR कंडक्टर से बदला जा रहा है, क्योंकि ACSS कंडक्टर ज्यादा गर्मी झेलने की ताकत रखता है।
जब वायर पर करंट कैपेसिटी को बढ़या जाता है तो वायर का टेम्परेचर भी बढ़ता है। इसलीए आने वाले समय के लिए ACSS कंडक्टर को धीरे धीरे ACSR कंडक्टर से बदला जा रहा है।
क्योकि ACSS कंडक्टर लगभग 180 CELSIUS तक टेम्परेचर को आसानी से झेल सकता है, जबकि ACSR कंडक्टर 100 CELSIUS टेम्परेचर तक ही झेल पाता है।